अन्नमाचार्य भारतीय भक्ति साहित्य के मध्ययुग के महान भक्त एवं पद रचनाकार थे। उन्होंने श्री बालाजी वेंकटेश्वर स्वामी की भक्ति की तन्मयता में, पद रचकर गायन किया था। अन्नमाचार्य को 'पद कविता पितामह' कहा जाता है। तेलुगु साहित्य में पहली बार पदों की रचना करने का श्रेय उनको ही जाता है। ये पद आज भी अत्यंत लोकप्रिय एवं प्रसिद्ध है। कर्णाटक संगीत में इनका गायन विशेष रूप से प्रचार-प्रसार में है। एम.एस.सुब्बलक्ष्मी ने कर्णाटक संगीत शैली में अनेक पद गाये थे। आशा भोंसले ने हिंदुस्तानी गायन शैली में कुछ पदों को गाया था। आशा जी का 'मा जहीहि दुष्ट मना इति' आदि प्रसिद्ध है। दक्षिण में अन्नमाचार्य पद-रचना के साथ, संगीत की राग-रागिनियों स्वरबध्द कर, स्वयं गायन करनेवाले भक्त कवि के रूप में अत्यंत प्रसिद्ध है।किंतु मैंने देखा कि हिंदी प्रदेश, पूर्वी भारत या पश्चिमी भारत में उनको सामान्य जनता ही नहीं विद्वत् समुदाय भी न के बराबर जानता है। इस महान भक्त कवि के साहित्य और व्यक्तित्व के बारे में हम तेलुगु भाषियों ने हिंदी में नहीं लिखा और परिचय नहीं कराया तो कैसे जानें। बहुभाषी इस देश हम एक प्रांत के लोग पड़ोसी प्रांत के साहित्य की जानकारी के लिए हिंदी में लिखा जाना आवश्यक है।
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Dr P Manikyamba 'Mani' Imprint: Kasturi Vijayam Dimensions:
Height: 229mm,
Width: 152mm,
Spine: 11mm
Weight: 222g ISBN:9788196487218 ISBN 10: 8196487215 Pages: 178 Publication Date:08 January 2024 Audience:
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Format:Paperback Publisher's Status: Active